
(संवाद सूत्र करंडा)
गाजीपुर। करंडा थाना में वर्दी वाले अफसर कम, ‘बिना पद’ वाले कारखास ज्यादा हावी हैं। यहां कानून से ज़्यादा चलता है कारखास का हुक्म। थाने की कुर्सी पर भले थानेदार बैठा हो, लेकिन असली कंट्रोल रूम तो कारखास के पास है। करंडा थाने का असली कप्तान कौन?
सूत्रों की मानें तो करंडा थाना में तैनात कारखास न सिर्फ वसूली का मास्टर माइंड है, बल्कि इनकी चर्चा क्षेत्र में खूब होती है कि कारखास साहब से मिलने पर कोई भी काम चाहें वैध हो या अवैध, सब हो जाएगा। यह कारखास थाने के अंदर कभी वर्दी में नहीं दिखते।
वसूली का हब, सत्ता का कथित नेटवर्क:
सूत्र बताते हैं कि करंडा थाना एक चर्चित कारखास की वजह से लंबे समय से अवैध वसूली का अड्डा बन चुका है। इलाके के ठेले वालों से लेकर लकड़ी माफिया तक हर किसी अवैध गतिविधियों की “हाजिरी” कारखास के पास लगती है —हर चीज़ में इसका नेटवर्क सक्रिय है।
बदली नहीं व्यवस्था, बदली सिर्फ वर्दी:
सूत्र बताते हैं कि थानेदार बदलते हैं, लेकिन कारखास सालों से वहीं जमा है। वजह साफ है—सत्ता के खास लोगों से इसकी सेटिंग इतनी मजबूत है कि इसे छूना तो दूर, कोई बोल भी नहीं सकता। जब भी हटाने की बात होती है, थाना में हलचल मच जाती है। सूत्र बताते हैं कि करंडा थाना के कारखास के काले कारनामों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि थाना क्षेत्र के प्रत्येक गांवों में पहुँच चुकी है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि करंडा थाना अब पुलिसिंग का नहीं, कारखास की काली सल्तनत का केंद्र बन गया है। अगर कानून सच में समान हो, तो सबसे पहले इसी ‘छाया सरकार’ पर गाज गिरनी चाहिए। वरना थाने, सिर्फ नाम के रह जाएंगे—और न्याय, सिर्फ किताबों में।
सूत्र -पार्ट -2 में चर्चित कारखास का नाम भी उजागर किया जाएगा।