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अतिक्रमणकारियों पर गरजा बुलडोजर

जमानिया। तहसील क्षेत्र के मुहम्मदपुर गांव में आरक्षित जच्चा-बच्चा केंद्र की भूमि और सरकारी जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के विरोध में शनिवार को पूर्व सूचना के अनुसार समाजसेवी विद्यानिवास उपाध्याय आमरण अनशन पर बैठ गए। अतिक्रमण को लेकर प्रशासन की लापरवाही और लेखपाल की कथित मिलीभगत से नाराज़ विद्यानिवास ने जोगियावीर बाबा मंदिर परिसर में सुबह 10 बजे से अनशन शुरू किया। जो 01 बजे अतिक्रमण हटवाने और लेखपाल के स्थानांतरण के आश्वासन पर समाप्त हुआ।
विद्यानिवास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि गांव के ही कुछ लोग, जिनमें सियाराम और हरिराम प्रमुख हैं, ने खाता संख्या 635 में स्थित आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में मेरे द्वारा इसकी शिकायत की गई थी, जिसके आधार पर न्यायिक तहसीलदार जमानियां ने 11 जनवरी 2023 को अतिक्रमण हटाने और दोषियों पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। लेकिन दो साल बाद भी न तो आदेश का पालन हुआ, न ही अतिक्रमण हटाया गया। उन्होंने क्षेत्रीय लेखपाल पर अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने और उनसे धन उगाही करने का भी गंभीर आरोप लगाया। बताया गया कि पोखरी का सौंदर्यीकरण ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तावित है, लेकिन अतिक्रमण के कारण कार्य रुका हुआ है। अनशन की सूचना मिलते ही तहसीलदार राम नारायण वर्मा मौके पर पहुंचे और विद्यानिवास को पहले समझाने का प्रयास किया, लेकिन वो नहीं माने। इसके बाद प्रशासन ने जेसीबी मंगवाकर लगभग 11 बजे अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। शुरू में महिला आरक्षियों की अनुपस्थिति और पुलिस बल की कमी के कारण कुछ दिक्कतें आईं, लेकिन बाद में कार्य शुरू कर दिया गया। अतिक्रमण हटाने के दौरान एक झोपड़ी को तोड़ा ही जा रहा था कि अतिक्रमणकारीयों ने स्वयं बाकी झोपड़ी में आग लगा दी, जिससे अफरा-तफरी मच गई। तेज हवाओं के कारण आग ने विकराल रूप ले लिया और अतिक्रमणकारियों की झोपड़ियां जलकर राख हो गईं। प्रशासन ने ग्रामीणों की मदद से आग बुझाने का प्रयास किया और दमकल को बुलवाया, लेकिन दमकल के पहुंचने तक झोपड़ियां जल चुका थी। करीब 1 बजे अतिक्रमण हटाए जाने के बाद तहसीलदार राम नारायण वर्मा ने विद्यानिवास उपाध्याय को पानी पिलाकर अनशन को समाप्त कराया। इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही संबंधित हल्का लेखपाल को हटाकर दूसरे हल्के में भेजा जाएगा। इस घटना से गांव में काफी हलचल रही और लोगों ने प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। साथ ही कहा कि सरकारी भूमियों से अतिक्रमण हटवाने के लिए मश्कत करना ठीक नहीं है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर भी नकेल कसने की जरूरत है।

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