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गांवों के सीमांकन का कार्य अंतिम चरण में

जमानियां। तहसील क्षेत्र में जमीन से जुड़ी जटिलताओं को सुलझाने और ग्रामीणों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से राजस्व विभाग द्वारा गांवों में सीमा स्तंभ लगाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। भूमि पैमाइश, भू-स्वामित्व निर्धारण तथा विवाद समाधान जैसे मामलों में इस पहल को एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।

तहसील क्षेत्र में कुल 258 गांव हैं। जिसमें कुल  340 सीमा स्तंभ लगने है। जिसमें से 127 स्थानों में पहले से सीमा स्तंभ लगा हुआ है। शेष 213 स्थानों पर सीमा स्तंभ लगाए जा रहे है। गांव तक यह सीमा स्तंभ पहुंच चुके है और कई जगहों पर लगए भी जा चुके है।  कुछ जगहो पर शेष बचे है। इसके लिए राजस्व कर्मियों और लेखपालों को निर्देशित किया गया है कि वे संबंधित गांवों में जल्द से जल्द सीमा स्तंभ स्थापित कराएं। सीमा स्तंभ लगने से भूमि की भौगोलिक सीमा स्पष्ट हो जाएगी, जिससे कई वर्षों से चले आ रहे भूमि विवादों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। अक्सर देखा गया है कि जमीन की सही पैमाइश न होने और स्पष्ट सीमांकन के अभाव में ग्रामीणों के बीच झगड़े, कोर्ट-कचहरी और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लेकिन सीमा स्तंभ लगने के बाद भूमि का नक्शा व वास्तविक स्थिति दोनों में सामंजस्य रहेगा, जिससे कानूनी विवाद की स्थिति में भी सटीक साक्ष्य उपलब्ध रहेंगे। तहसील परिसर में ही इन सीमा स्तंभ को सांचे की मदद से तैयार किया गया है। इस संबंध में उपजिलाधिकारी ज्योति चौरसिया ने बताया कि तहसील क्षेत्र के सभी गांवों में सीमा स्तंभ लगाए जा रहे हैं ताकि भविष्य में भूमि संबंधी विवादों से बचा जा सके। राजस्व कर्मियों को इस कार्य में विशेष रूप से लगाया गया है। 127 स्थानों पर पहले से स्तंभ लगे हुए है। जहां क्षतिग्रस्त अथवा नहीं लगे है ऐसे कुल 213 स्थान है। जिसमें से अधिकतर स्थानों पर लगाए जा चुके है। कुछ जगहों पर बचे है उसे भी जल्द लगाने के निर्देश दिए गए है। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग की यह पहल ‘डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के अंतर्गत चल रहे भू-लेखों के आधुनिकीकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी बल्कि किसानों और भूमि मालिकों को भी सही जानकारी और सुरक्षा मिलेगी।

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